The Changing Landscape of Careers in Modern India
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रूढ़ीवादी परंपराओं का समापन

बचपन से यह मान्यता बन गई थी कि या तो डॉक्टर बनना है या फिर इंजीनियर, तभी इंसान पहचान बनाएगा। एक आईएएस अफसर भी इंसान होते हैं, परंतु उनके लिए 10 वर्षों का संघर्ष आवश्यक है। यह बात हम सबके लिए महत्त्वपूर्ण है कि केवल उन पेशों पर विचार न करें जो स्वागतयोग्य हों, बल्कि उन अवसरों की भी तलाश करें जिनसे हम अपनी काबिलियत को शक्ति दे सकें।

आर्थिक उदारीकरण का प्रभाव

1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के बाद, हमारे सामने एक नया संसार आया। तब कई औद्योगिक तथा तकनीकी पेशे खड़े हुए, और इसके साथ ही आईटी और इंजीनियरिंग का एक नया युग प्रारंभ हुआ। अब केवल गली क्रिकेट नहीं खेला जाता था, बल्कि ‘शर्मा अंकल की खिड़की’ से ज्यादा, इंजीनियरिंग कॉलेजों की खिड़कियाँ अधिक टूटने लगीं। इससे यह साफ है कि अब पैसा ‘नया भगवान’ बन चुका है।

नवीनता की खोज

आज की तारीख में, हम केवल इंजीनियरिंग और डॉक्टरी की बात नहीं कर सकते। हम नव-निर्मित कैरियर जैसे स्टार्टअप डे, इन्फ्लुएंसर डे जैसे अवसरों का स्वागत कर रहे हैं। यह संकेत है कि हमारे समय में परिवर्तन आ रहा है और कई अन्य पेशे भी जन्म ले रहे हैं। हमें हर पेशे का सम्मान करना चाहिए और केवल इंजीनियरिंग दिवस की बजाय, अन्य क्षेत्रों के विकास के लिए भी जगह बनानी चाहिए।

Tu Hindu Banega na Musalmaan banega, Insaan ki Aulad hai Insaan banega!

Well it seemed since childhood that agar Doctor ya Engineer Banega tabhi Insaan Banega.

IAS was also insaan but took on an average 10 years of attempts. I give that it has its own charm though. Long time back a 10 year boy once told me why his mother wants him to become one, “They earn 50 lakh a year!”

The thing of folklore remained Doctor and Engineer though with a special love equation for “Engineer sahab”.

The times kept on changing with even one peon position inviting voluntary applications from hundreds of PHDs.

Things took a pivotal turn in the 1990s with the double whammy of Economic liberalization and Reservations.

Factories started producing IIT competition exam ready Engineers in lakhs. Gully Cricket balls stopped breaking “Sharma uncle ki khidki”, but next door Engineering Colleges windows.

With “money” becoming the new God, several new and innovative professions have started taking birth too!

Its not long before we may see a “Startup Day”, “Stock Investor Day“, “Stock Trader Day”, Dance Therapy Day”, “Image consultant Day”, “Standup Comedy Day”, “Instagram Influencer Day”, “Traveler Day”, “Real Estate Agent Day”, “3 hour Masterclass day”.

Being conventional still, giving credit where its still due to the reigning king, “Happy Engineers Day!”